महज 11 वर्षीय बच्ची के दुष्कर्मी को उम्रकैद सहित 2.60 लाख रूपये ठोका जुर्माना
चंडीगढ़ /लुधियाना : 14 अगस्त ; अल्फ़ा न्यूज इंडिया ;----- अतिरिक्त सेशन जज सोनिया किनरा की अदालत ने मंगू उर्फ राणा निवासी न्यू सुभाष नगर, बस्ती जोधेवाल को 11-वर्षीय बच्ची से दुष्कर्म के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई है। अदालत ने दोषी को 2 लाख 60 हजार रुपये बतौर जुर्माना भरने का भी फरमान सुनाया है। उक्त जुर्माना राशि में से 2 लाख 50 हजार रुपये पीडि़ता को दिए जाने का भी आदेश दिया है। अदालत ने कहा कि जब तक पीडि़त बालिका वयस्क ना हो जाए तब तक वह राशि या उसका ब्याज किसी को भी ना दिया जाए। हर्जाने के तौर पर मिलने वाली यह राशि बालिका के नाम पर एफडी किए जाने का आदेश दिया गया है।
यह मामला पीडि़ता के पिता के बयान पर 26 जून 2015 को पुलिस थाना बस्ती जोधेवाल में दर्ज किया गया था। शिकायतकर्ता ने अदालत को बताया कि वह रिक्शा चालक है और उसके दो बेटे और दो बेटिया हैं। उसकी बड़ी बेटी सरकारी मिडिल स्कूल न्यू सुभाष नगर में छठी क्लास में पढ़ती है। 25 जून की दोपहर को उसकी 11 वर्षीय बेटी अपने दोस्त को कपड़े देने के लिए घर से निकली पर वापस नहीं आई। शिकायतकर्ता ने काफी खोजबीन की पर वह नहीं मिली।
बाद में पुलिस ने शिकायतकर्ता के बयान पर बालिका के अपहरण का मामला दर्ज कर छानबीन शुरू की। उसके उपरात पुलिस ने आरोपित को गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया। अदालत ने उस पर नाबालिग को अपहरण करने का आरोप तय किया। जब पीडि़त बालिका ने अदालत में अपने बयान दर्ज कराए तो मामले में बलात्कार करने के साथ पास्को एक्ट की धाराएं भी जोड़ दी गई। अदालत में दोषी ने खुद को बेकसूर बताया और रहम की अपील की। दोनों पक्षों की दलील सुनने और सबूतों को देखने के बाद अदालत ने कसूरवार पाया।
कड़वा सत्य तो ये है कि पिछले कुछ वर्षों से देश भर में नन्ही बच्चियों तक से बलात्कार और बलात्कारों की बाढ़ ने अज्ञात कारणों से केंद्र और स्टेट सरकारों की कुम्भकर्णी नींद तक को नहीं तोडा है ! जबरजिन्नाह की कोपभाजक बनी अनेकों पीड़िताएं महज कुछ महीनों की उम्र की रही हैं जिन्हों ने जख्मों की ताव ना झेलते हुए तड़प तड़प दम तोड़े हैं ! अनेकों बलात्कार बच्चियों के जिस्मों पर तो अनगिनत घावों के निशानों ने पत्थर दिलों को भी पिघलाया ! कोर्ट ने तेवर तीखे तो किये हैं पर फिर भी अभी तक नन्ही बच्चियों के साथ जबरजिन्नाह जारी रहना कानूनों की रक्षा करने वालों की मुस्तैदी निशान खड़े करते हैं ! या ये कहें कि कोर्ट के कड़े आदेश कागजों को सिर्फ काले ही करते हैं ! ऐसा वर्दी की सक्रियता ने सवाल पैदा किये हैं ! साभार ;एपी !
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