एजुकेटड ट्राइसिटी सिटी के बच्चों को एमआर वैक्सीनेशन की इंतजार, बरकरार है पब्लिसिटी की मार
चंडीगढ़ ; 29 अप्रैल ; आरके शर्मा विक्रमा /मोनिका /शर्मा करण /एनके धीमान;---- आज हर इंसान किसी न किसी बीमरी का शिकार बनता जा रहा है ! ये बीमारियां भले ही अनेकों कारणों से शरीर पंप रही हैं पर कुल मिला कर हमारा आधुनिक लाइफस्टाइल इसके लिए शत प्रतिशत जवाबदेह है ! आज इस बारे में इक विस्तृत जानकारी हमारे ट्राइसिटी के प्रबुद्ध डॉक्टर्स साँझा कर रहे हैं ! डॉ जेपी बंसल [सिविल डिस्पेंसरी पुलिस लाइन सेक्टर 26] के मुताबिक जनक फ़ूड से शरीर मोटापा ग्रहण करता है और मोटा शरीर बिमारियों का अड्डा बनता है ! दूसरा आज की जिंदगी में कसरत का आभाव और मोबाइल + नेट ने लाइफ का बेड़ागर्क किया है ! डॉ नवनीत कंवर [प्रभारी मेडिसन, यूटी प्रेस डिस्पेंसरी] के मुताबिक मांबाप धन अर्जित करने की मंशा के आगे बच्चों की देखभाल नौकरों के हाथ सौंप रहे हैं ! जिस दौरान बच्चे को अपनी माँ की जरूरत होती है तब उसका लालनपालन आया करती है ! और ये आया कितनी समझदार और वफादार होती हैं ये जगजाहिर ही है ! बच्चों के कौतुहल शोरशराबे और हुल्ल्डबाजी से निजात पाने के लिए अक्सर बच्चों को नशे वाली मेडिसन पीला कर गहरी नींद सुलाने की गैर कानूनी और अनैतिक चलन भी बड़ी बिमारियों को बुलावा देता है !
सेक्टर 45 स्थित सिविल हॉस्पिटल की एसएमओ डॉ कृष्णा चौधरी का स्पष्ट कहना भले ही हम 21 वीं सदी के लोग बन गए हैं पर बच्चों के बारे में उनकी बिमारियों से हिफाजत के मामले में खुद बच्चे ही हैं ! इसके पीछे अनपढ़ता गरीबी और समय के अभाव का रोना मुख्य तौर पर सामने आता है ! जच्चा बच्चा को बुनियादी बिमारियों के कारणों का उनसे निजात पाने के उपायों की जानकारी का अभाव बना रहना भी दुर्भाग्यपूर्ण है !
दूसरा, अहम कारण आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी के डाक्टर अरुण कपिला के मुताबिक ये भी है कि मेडिकल सिस्टम भी कई कारणों कई जगह दूषित होने से भय व् असुरक्षित भावना को बल देता है सो लोग डाक्टरों के पास जाने से डरते हैं ! वैक्सीनेशन से होने वाली मौतों की खबरों में इजाफे होने से लोगों का रुझान कम होना स्वाभाविक ही है ! आज भी अनेकों माताएं अपने बच्चों को घातक रोग के चलते झाड़फूंक करवाना उचित मानती हैं और डाक्टरों के पास जाने से ही बिदकती हैं !
जीरकपुर स्थित पीरमुछल्ला के सिटी प्लाजा में मेडिकल वर्ग से ताल्लुक रखती व् समाज के अनपढ़, बेरोजगार, नशे के आदी तबके से तालुक्क रखते परिवारों को निशुल्क रूप से सेहत और सफाई जैसे बुनियादी आवश्यक महौलों से समुचित वाकिफ करवाती अंजू शर्मा कमलेश और हरीश शर्मा मिंटू का मानना है कि सरकार की सेहत संबंधी नीतियों को जन-जन तक पहुंचने में कई पड़ावों से गुजरना पड़ता ! और पड़ाव कितने जिम्मेवार और जवाबदेह हैं सब जानते हैं ! ऐसे में एनजीओ कितनी सार्थक भूमिका निभा रहे हैं ये सिस्टम भी खुद ही लकवाग्रस्त है !
वॉर विडोस की बच्चियों को निशुल्क रूप से आर्ट्स एंड क्राफ्ट्स का प्रशिक्षण देने का खुला मंच " अदिति कलाकृति हब ऑफ़ हॉबीज" की प्रिंसिपल आर्टिस्ट मोनिका शर्मा आभा और संतोष लेहल [ वर्ल्ड ह्यूमन राइट्स फोरम मोहाली] की प्रभारी ने भी बच्चों को मुकम्मल रूप से घातक रोगों से बचाने वाले टीकाकरण का अभी तक लक्ष्य पूरा न होने पर खेद जताया है और अपने अपने आधार पर निशुल्क सेवाएं उपलब्ध करवाने का वादा भी दोहराया है !
ट्राइसिटी के 10 से 15 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों को एम आर वैक्सीन लक्ष्य कितना अभी बाकि है के बारे में विस्तृत जानकारी हासिल की जा रही है ! उक्त वैक्सीन का घातक रोगों से निपटने में अहम रोल होता है ! ये हर बच्चे के लिए बुनियादी तौर लगाया जाना लाजिमी है ! इस बारे में डायरेक्टर हेल्थ सर्विस स्थानीय प्रशासन से सम्पर्क नाकामयाब रहा !
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