श्री वृन्दावन में विराजते हैं सात श्री विग्रह ; कथा व्यास अतुलकृष्ण
दूसरे दिवस की कथा का श्री गणेश भक्त शिरोमणि और रामभक्त हनुमान जी के भक्ति शक्ति बल विवेक पराक्रम और भक्त वत्सल स्वरूप की महिमा बखानी के साथ हुआ ! कथाव्यास अतुल कृष्ण जी के गाये भजनों पर नरनारी खूब उत्साह से नृत्य करते हुए झूमते रहे ! कथाव्यास के अनुसार श्री वृन्दावन में वास करना बड़े सौभाग्यों से मिलता है ! यहीं वृन्दावन का स्मरण तभी होगा जब ठाकुर महाराज जी ख्याल में तुम आओगे ! संत मिलने से ठाकुर का द्वारा मिलता है और ठाकुर मिलने से संत का साथ प्रचुर मिलता है !
चंडीगढ़ ; 27 फरवरी ; आरके शर्मा विक्रमा /करण शर्मा ;----स्थानीय सेक्टर 23 डी स्थित श्री महावीर मंदिर सभा [मुनि मंदिर ] में 49वें मूर्ति स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में हर साल की तरह तीन दिवसीय भागवत कथा भजन प्रवचन का बुधवार को अंतिम दिवस है और इस पावन अवसर पर बरसाने की फूलों वाली होली का भव्य आयोजन मुनि मंदिर धर्मशाला में किया जायेगा ! ये जानकारी मुनि मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित दीपराम शर्मा जी ने देते हुए बताया कि वैसे तो बीते दोनों दिवस कथा भजन और प्रवचन आदि को ठीक आठ बजे विश्राम दिया जाता रहा ! लेकिन अंतिम दिवस को कथा व्यास श्रद्धेय अतुल कृष्ण शास्त्री वृन्दावन पठनकोट वाले ब्रजवासी जी आज कथा श्रवण के साथ साथ कई रुचिकर प्रसंगों का बखूबी बखान करेंगे ! और ओमप्रकाश जोकि सभा के सदस्य हैं की ओर से अटूट भंडारा रात्रि नौ बजे से वितरित किया जायेगा !
दूसरे दिवस की कथा का श्री गणेश भक्त शिरोमणि और रामभक्त हनुमान जी के भक्ति शक्ति बल विवेक पराक्रम और भक्त वत्सल स्वरूप की महिमा बखानी के साथ हुआ ! कथाव्यास अतुल कृष्ण जी के गाये भजनों पर नरनारी खूब उत्साह से नृत्य करते हुए झूमते रहे ! कथाव्यास के अनुसार श्री वृन्दावन में वास करना बड़े सौभाग्यों से मिलता है ! यहीं वृन्दावन का स्मरण तभी होगा जब ठाकुर महाराज जी ख्याल में तुम आओगे ! संत मिलने से ठाकुर का द्वारा मिलता है और ठाकुर मिलने से संत का साथ प्रचुर मिलता है !
मंदिर सभा के प्रधान दलीप चंद गुप्ता ने बताया कि इसी वर्ष जुलाई माह में पूजयपाद ब्रह्मलीन गुरुश्रेष्ठ 108 मुनि गौरवानन्द जी महाराज की पावन और मधुरस्मृति में मुनि महाराज की असीम दयाभाव और आशीर्वाद से 6 जुलाई सेलेकर 12 जुलाई तक श्री मदभागवत कथा का भव्यता से विशाल आयोजन किया जायेगा ! कथा व्यास अतुल कृष्ण शास्त्री जी बड़े सहज और सरल शब्दों में गायन और कथा करते हैं और श्रद्धालूओं को मधुर वाणी से मंत्रमुग्ध कर देते हैं ! भावविभोर होकर चेतन अचेतन से परे होकर आस्थावान हिलोर लेकर झूमते हैं ये सब कथाव्यास की मधुर और सौम्यता लिए ओजभरी वाणी का परिणाम है !
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