अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के अंतर्गत गीता स्थली ज्योतिसर में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसके लिए मुख्य रूप से ओडिशी नृत्य की प्रस्तुति दी गई। ओडिशी नर्तक दीपांकर ने मनभावन नृत्य पेश किया। उन्होंने अपने नृत्य के माध्यम से विभिन्न कथाओं को प्रदर्शित किया। पोशाली मुखर्जी के शिष्य दीपांकर ने इस मौके पर कहा कि उनकी इच्छा थी कि वे गीता स्थली ज्योतिसर में अपने नृत्य की प्रस्तुति दी। दीपांकर ने कहा कि गीता स्थली का अत्यधिक महत्व है, जहां स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का संदेश दिया था। ऐसी स्थली के दर्शनमात्र से जीवन का कल्याण संभव है। उन्होंने बताया कि वे करीब एक माह पूर्व कुरुक्षेत्र आये थे। तब उन्होंने गीता महोत्सव के आयोजन के विषय में जानकारी मिली। इससे उनको भी इच्छा हुई कि वे भी इस आध्यात्मिक स्थली में अपनी कला की प्रस्तुति दें। किंतु वे गीता स्थली ज्योतिसर में ही प्रस्तुति देने को लालायित थे। इस इच्छा को आयोजकों ने पूर्ण किया, जिसके लिए वे आभारी हैं।
नर्तक दीपांकर ने कहा कि गीता स्थली ज्योतिसर में आकर उन्हें एक अलग ही विशेष अनुभूति हो रही है। उन्हें आध्यात्मिकता का अहसास हो रहा है। यह उनके लिए बड़ा सौभाग्य है। उन्होंने कहा कि यदि भविष्य में भी उन्हें अवसर मिलता है तो वे जरूर गीता स्थली के दर्शन को आयेंगे। उन्होंने युवाओं का आह्वान किया कि वे गीता के महत्व को गंभीरता से समझते हुए अपने जीवन में शामिल करें। गीता ही जीवन का सार है, जिसे समझने वाला हर दुख-दर्द से ऊपर उठ जाता है। कार्यक्रम के दौरान मंच का संचालन कुशलतापूर्वक सेवानिवृत्त जिला सूचना एवं जन संपर्क अधिकारी डा. देवराज सिरोहीवाल ने किया। इस अवसर पर विभिन्न गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।
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