दुनिया की पहली सोलर रेल भारतीय रेल पटरियों पर दौड़ी, देश गर्व से फूले नहीं समाया

दुनिया की पहली सोलर रेल भारतीय रेल पटरियों पर दौड़ी, देश गर्व से फूले नहीं समाया 
चंडीगढ़ /नईदिल्ली ; 14 जुलाई ; आरके विक्रमा शर्मा /मोनिका शर्मा ;-----देश हर कदम हर पायदन पर नई 
विकास इबादत लिख रहा है ! हर रोज नई खोज नई रौशनी अधेंरे में धंसे पिछड़ेपन अभावों और सरकारी घोर 
बेपरवाहियों से ऊपर उठा कर नया मील का  पत्थर गाड़ रहा है ! इसी क्रम में मोदी के शासन में इक और नई 
उपलब्धि प्राप्त होने से देश का भाल गर्व से ऊँचा हुआ ! और हर भारतीय इस गौरवन्वित करती उपलब्धि पर फूले भी 
नहीं समा  रहा है !  विश्व की पहली सोलर एनर्जी डीईएमयू (डीजल इलेक्ट्रिक मल्टी यूनिट) ट्रेन चलाने का गौरव 
भारतीय रेलवे को प्राप्त हुआ है !  रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने आज विश्व की पहली सोलर एनर्जी की ट्रेन को हरी झंडी दिखाई !  ये ट्रेन 
दिल्ली के सराय रोहिल्ला से गुरुग्राम (पूर्व गुड़गांव) के फरुख नगर तक चलेगी ! इसके साथ ही आज भारतीय रेलवे
ने विश्व की पहली सोलर एनर्जी की ट्रेन चलाने की शुरुआत कर बड़ा मुकाम हासिल किया है!
सफदरगंज रेलवे स्टेशन पर उद्घाटन के लिए लाई गई इस ट्रेन में इंजन के अलावा सबकुछ सोलर एनर्जी से चल रहा है!
रेल मंत्री ने कहा कि रेलवे की मंशा तेजी से ग्रीन एनर्जी की ओर बढ़ने की है जिससे क्लीन-ग्रीन एनर्जी से चलने वाली
ट्रेनों की संख्या बढ़ाई जा सके !रेलवे बोर्ड के रोलिंग ट्रैफिक मेम्बर, रवींद्र गुप्ता ने कहा कि सफदरगंज रेलवे स्टेशन से
चलने वाली इस ट्रेन के हर कोच में 16 सोलर पैनल लगे हैं. ये पैनल दिन भर में 20 सोलर यूनिट बिजली बनाएंगे जो
ट्रेन की बैट्रियों में स्टोर होगी! सोलर ट्रेन के प्रत्येक कोच में 300 वॉट के 16 सोलर पैनल लगाए गए हैं. इससे करीब
28 पंखे और 20 ट्यूबलाइट जल सकेंगी ! स्टोर सोलर बिजली से ट्रेन का काम दो दिन तक चल सकता है लेकिन किसी
भी आपात परिस्थिति में कोच का लोड अपने आप डीजल एनर्जी पे शिफ्ट हो जाएगा. इससे सलाना 9 टन कार्बन उत्सर्जन
घटेगा और 21 हज़ार लीटर डीजल की बचत होगी! जानें ट्रेन की खास बातें :-----ये ट्रेन भारतीय रेलवे की पहली
सौर ऊर्जा युक्त डीईएमयू (डीजल इलेक्ट्रिक मल्टि यूनिट) ट्रेन है! इस ट्रेन की छत पर सौर पैनल लगा है जो केबिन में
रोशनी और पंखा चलाने के लिए लगे हैं! इसके हरेक कोच में 16 सौर पैनल लगे हैं ! जिनकी कुल क्षमता 4.5
किलोवाट है ! हर कोच में 120 एंपीयर पर आवर कैपेसिटी की बैटरीज भी हैं! इस ट्रेन में गद्देदार सीटों का इस्तेमाल
किया गया है ! साथ ही हरेक कोच में एक डिस्प्ले बोर्ड लगा है! वहीं पैसेंजर्स के सामान रखने के लिए रैक भी बनाए
 गए है ! जिसका इस्तेमाल रात में हो सकेगा ! यह ट्रेन चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्टरी में बनी है !  इस 6 कोच वाले
 रैक पर दिल्ली के शकूरबस्ती वर्कशॉप में सौर पैनलों लगाए गए है!  अगले छह महीने में शकूर बस्ती वर्कशॉप में इस 
तरह के 24 और कोच तैयार किए जा रहे हैं ! इस ट्रेन की कुल लागत 13.54 करोड़ रुपये है!  प्रत्येक पैसेंजर कोच बनाने
 में 1 करोड़ जबकि मोटर कोच बनाने में  2.5 करोड़ खर्च हुए हैं!  इसके अलावा हर सोलर पैनल पर 9 लाख रुपये का 
खर्च आया है! सोलर ट्रेन से प्रति कोच सालाना दो लाख रुपये के डीजल की बचत होगी! साथ ही प्रति वर्ष 9 टन कार्बन 
डाइऑक्साइड कम पैदा होगा ! कुल मिलाकर सालाना 672 करोड़ रुपये के बचत होगी !  अगले 25 सालों में रेलवे सोलर 
पैनलों की बदौलत हर ट्रेन में 5.25 लाख लीटर डीजल बचा सकता है !  इस दौरान रेलवे को प्रति ट्रेन 3 करोड़ रुपये की
 बचत होगी !  वहीं, सोलर पावर के  जरिए 25 सालों में प्रति ट्रेन 1350 टन कार्बन डाईऑक्साइड का उत्सजर्न कम 
होगा! इन सोलर प्रोजेक्ट ट्रेन से रेलवे को हर साल 700 करोड़ रुपये की बचत होने का अनुमान है! इस ट्रेन में दस कोच
 हैं ! जिसमें 2 मोटर, 8 पैसेंजर कोच हैं. अगले कुछ दिनों में 50 अन्य कोचों में ऐसे ही सोलर पैनल्स लगाने की योजना है!  सोलर पावर 
पहले शहरी ट्रेनों और फिर लंबी दूरी की ट्रेनों में लगाए जाएंगे! विश्व में पहली बार ऐसा हुआ है कि सोलर पैनलों का 
इस्तेमाल रेलवे में ग्रिड के रूप में किया गया!  शिमला कालका टॉय ट्रेन की छोटी लाइन पर पहले से सौर ऊर्जा ट्रेन
 चल रही हैं और इसकी बड़ी लाइन की कई ट्रेनों के 1-2 कोच में सोलर पैनल लगे हैं!  आपको बता दें कि राजस्थान
 में भी सोलर पैनल से वाली लोकल ट्रेन का ट्रायल हो गया है!  हालांकि ये सोलर एनर्जी को सेव यानी करने की
 सुविधा नहीं रखती है!!

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