सांसद ने लिखा राज्य पाल को पत्र, कहा चंडीगढ़ में पंजाब पैटर्न पर हों अनुकंपा नियुक्तियां



चंडीगढ़ : 23 जून ; आरके विक्रमा शर्मा /एनके धीमान ;----- शहर की सांसद किरण खेर ने यूटीचंडीगढ़ में अनुकंपा के आधार पर नियुक्तियों के मुद्दे को चंडीगढ़ के प्रशासक व पंजाब के राज्यपाल श्री वीपी सिंह बदनोर के साथ उठाया है। श्री बदनोर को लिखे पत्र में खेर ने स्पष्ट किया है कि चंडीगढ़ में अनुकंपा आधार पर नियुक्तियां पंजाब पैटर्न के आधार पर होनी चाहिए। वर्तमान में चंडीगढ़ में केंद्र सरकार के पैटर्न पर अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति की जाती है तथा इसके लिए चंडीगढ़ में 5% की अधिकतम सीमा तय की गई है और इस सीमा की वजह से अधिकांश आवेदकों को अनुकंपा नियुक्तियों का लाभ नहीं मिल पाता है। हालाकि पंजाब में अनुकंपा आधार पर होने वाली नियुक्तयों में इस तरह की कोई अधिकतम सीमा नहीं है। उन्होंने प्रशासक से अनुरोध किया है कि वे उन परिवारों को, जिनके एक मात्र कमाने वाले का अपनी सेवा अवधि के दौरान निधन हो गया था, की कठिनाई को कम करने के लिए इस मुद्दे पर अनुकूल और सहानुभूतिपूर्वक विचार करें।
अपने पत्र में खेर ने स्पष्ट किया है कि चंडीगढ़ प्रशासन ने पंजाब स्टेट सिविल सर्विसेज नियमों को अपनाया है और हाल ही में पंजाब पंजाब के पैटर्न पर चंडीगढ़ में सरकारी सेवा में प्रवेश के लिए ऊपरी आयु सीमा को 25 साल से बढ़ाकर 37 साल किया है। चंडीगढ़ के कर्मचारी अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति को छोड़कर पंजाब के कर्मचारियों के समान वेतनभत्तेसेवानिवृत्ति की आयु और पेंशन लाभ आदि की तरह अन्य लाभों के हकदार हैं। यह गलत है। अगर बाकी सब मामलों में पंजाब के नियम चंडीगढ़ में लागू हैं तो अनुकंपा आधार पर नियिक्तयों के नियम केंद्र सरकार के क्यों अपनाए गए हैं। 
उन्होंने अपने पत्र में यह भी स्पष्ट किया है कि विभिन्न कर्मचारी संगठन उनके ध्यान में यह जानकारी लेकर आए हैं कि सेवा के दौरान मृत्यु होने वाले मृतक कर्मचारियों के परिवार वालों के लिए केंद्र सरकार पैटर्न पर अनुकंपा नियुक्ति देने  के लिए 5% की अधिकतम सीमा है। कर्मचारी संगठनों ने आगे यह तर्क भी दिया है कि चंडीगढ़ यूटी होने के नाते काफी छोटा है और कुछ विभागों में 5 पदों से भी कम का कैडर है। इसलिए 5% की अधिकतम सीमा होने की वजह से ऐसे विभागों में अनुकंपा नियुक्तियां प्रदान करना मुश्किल है। परिणामस्वरूपप्रभावित परिवार  बुरी तरह से इसका खामियाजा भुगत रहे हैंक्योंकि उनके परिवार में से कोई भी रोजगार पाने में असमर्थ हैं क्योंकि उम्मीदवारों की सूची प्रत्येक विभाग में बहुत लंबी है। अनुकंपा नियुक्तियों का लाभ का लाभ उठाने के लिए अधिकांश आवेदक पिछले 10-15 वर्षों से इंतजार कर रहे हैं। 
श्रीमती खेर ने अपने पत्र में आगे उल्लेख किया है कि कर्मचारियों संगठनों ने आगे यह भी कहा है कि पंजाब राज्य में ऐसी कोई अधिकतम सीमा नहीं है। जब भी कोई पद सेवानिवृत्ति या किसी अन्य वजह से रिक्त होता है तो मृत कर्मचारियों के आश्रितों को प्राथमिकता के आधार पर नौकरी दी जाती है। इसलिएअगर हम चंडीगढ़ में भी पंजाब पैटर्न को लागू कर देते हैं तो उन परिवारों के लिए बड़ी राहत होगीजिनके घऱ में कमाने वाले एक मात्र व्यक्ति की सेवा के दौरान मौत हो गई है। 

Comments