कुरुक्षेत्र ; 27 दिसम्बर ; राकेश शर्मा /अल्फ़ा न्यूज इंडिया ;--------
फ्रॉड कॉल- मैं बैंक मनैजर बोल रहा हुं आपका खाता नम्बर बंद हो चुका है।
ग्राहक:- जी मुझे क्या करना होगा?
फ्रॉड कॉल:- आपको अपना एटीएम कार्ड नम्बर ओर आधार कार्ड नम्बर हमें बताना होगा ताकि आपके खाते को जल्द से जल्द सुचारू रूप से चलाया जा सके।
और जैसे ही वह अपना आधार कार्ड ओर पिन नम्बर फ्रंोड कॉल से आने वाले को व्यक्ति को बताता है, तभी उसके मोबाईल फोन पर मैसज आता है कि आपके खाते से इतनी धनराशी चली गयी है,जब ग्राहक ऐसा सन्देंश पड़ता है तो हक्का भक्का रहा जाता है ओर सोचने के लिए मजबूर हो जाता है कि उसके साथ यह क्या हो गया ओर समझ नही पाता कि वह सबसे पहले आप बीती किस को बताये,या फिर किसको शिकायत करें, ही जां हम बात कर रहे है भारत देश के नागरिकों के आने वाले फ्रांड कॉलस की जिससे एक अनजान फोन से उसकी मेहनत ओर ईमानदारी के कमाये हुए रूपये दुसरे के हाथों मे चले जाते है ओर वह बेबस सा हो कर सब देखता रहता है।
ऐसे घटनाओं को देखकर हम सोचने के लिए मजबूर हो जाते है कि क्या भारत तैयार है डिजिटल भारत बनने को-----
भारत जहां पर कैशलैश की ओर कदम बढय़ा जा रहा है इस्तेहारों, लक्की ड्रा इत्यादि से जनता को ज्यादा से ज्यादा कैशलैश करने के लिए अपील कि जा रही है ताकि भारत का हर नागरिक पैसे का कम उपयोग करें ओर कैशलैश प्रणाली को अपनायें। साईबर क्राईम जानकारों की मानें तो भारत जैसे देश में यदि कैशलैश प्रणाली जितनी ज्यादा बढग़ी उतनी ही घटनाऐं साईबर क्राईम की बढ़ जाएगी क्योकि अभी तक भारत में साईबर क्राईम को रोकने के लिए उचित ओर पुख्ता इंतजाम नही है ना ही साईबर अदालतें है ओर ना ही डिजिटल साक्षरता है। आई आर बी के अनुसार भारत के 92 प्रतिशत गांव में बैंक नही है ओर 40 प्रतिशत आबादी एटीएम से दुर है। हमें यह भी जानना चाहिए कि हम दुसरे देशों की तुलना में कहां पर खड़े है एक नजर इस पर भी हमारे देश में लगभग 2लाख एटीएम मशीनें है,के्रडिट कार्ड 2.6 लाख,ओर डेबिट कार्ड 75 करोड़ लोगों की पहुंच तक है। तो देश कैसे सपना देख रहा है कैशलैश बनाने को क्या ये सपना साकार होगा या फिर धरातल की हकीकत जान कर भी अनजान है हम।
भारत में ,इंटरनेट कनेकशन 50 करोड़,स्मार्ट फोन 35 करोड़,मोबाईल बैकिग 37 करोड़,लोगो की पहुंच में है वही दुसरी ओर आधार कार्ड की बात करें तो 9.1 प्रतिशत है वही चीन 3.5 प्रतिशत, ब्रिटेन 2 प्रतिशत लोगो के पास आधार कार्ड है इससे साफ जाहिर होता है कि भारत में दुसरे देशों की अपेक्षा आधार कार्ड को ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है ओर यदि भारत देश एक ऐसा जहां भारत आधे से ज्यादा तो गांव में पलबढ़ रहा है कैशलैश की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है ओर ये सचाई भी है क्योकि यदि कैशलैश इकॉनोमी की बात करे तो स्वीडन 86 प्रतिशत, सिंगापूर 61 प्रतिशत, युएस 45 प्रतिशत, भारत 2प्रतिशत, चीन 10 प्रतिशत, जापान 14 प्रतिशत, है जहां पर हम इस पक्तिं पर हम काफी पीछे खड़े हुए दिखाई दे रहे है। इसलिए देश को कैशलैश बनाने से पहले देश के हर नागरिक को डिजिटल साक्षरता का ज्ञान होना जरूरी है ताकि वह अपने मेहनत की कमाई को दुसरों के हाथों मे जाने से रोक सके। उसे पता हो कि यदि उसके साथ कोई धोखाधड़ी होती है तो उसकी शिकायत कहां करे। उसकी पता होना चाहिए कि उसकी डिजिटल सुरक्षा के लिए साईबर क्राईम उसके साथ है जहां उसकों आसानी से अपनी शिकायत दर्ज करवा सकता है। जब तक उसके मन में यह सब बातों का वहम दुर नही हो जाता तब हर व्यक्ति की भागीदारी होना बड़ा मुशिकल सा लगता है----------!!
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