चंडीगढ़ ; 20 अक्टूबर ; अल्फा न्यूज़ इंडिया ;--
दुर्भाग्य और सोच का विषय है कि स्कूली बच्चे अपनी पढ़ाई खटाई में डालकर समाज को नो क्रेकर्स का सन्देश देने के लिए हर पल जुटे हुए हैं ! जब इन के हाथों में किताबें कापियां होनी चाहियें तब ये नो क्रेकर्स के श्लोगन्स लिखी तख्तियां उठा कर गली कूचों में अपने गले फाड़ रहे हैं ! न पब्लिक न प्रेस और नहीं मीडिया इनके शोरगुल को सुनने समझने की जेहमत उठा रही है ! जिन पटाखों को दीवाली और अन्य अवसरों पर फूंकने सहित बजाने से होने वाले नाना प्रकार के नुकसानों से अवगत करवाने वाले स्कूलों के हजारों बच्चे रोजाना यहाँ वहां भटकते हुए शिक्षित समाज को पर्यावरण बचाने की गुहार लगा रहे हैं वहीँ सरकारी तन्त्र पूरी ईमानदारी मुस्तैदी से उक्त बम्ब पटाखें आतिशबाजी आदि बेचने के लिए बड़ी तादाद में लाइसेंस उपलब्ध करवा रहा है ! भोले भाले बच्चे तो ये ही नहीं समझ पा रहे हैं कि सरकारी तन्त्र उनके साथ कैसा भद्दा घिनौना खेल खेल रही है ! बच्चों की महत्वपूर्ण पढाई छूडवा कर पटाखे आदि न चलाने के लिए अभियान छेड़वा रही है ! और खुद लाइसेंस बेचकर तिजौरियां भरने पर आतुर है ! ये दो मुंही सांप छुछुंदर वाली कहावत बच्चे समझ नहीं पा रहे हैं ! कल सवेरे सेक्टर 45 बी स्थित एक क्रिश्चियन स्कूल में और सेक्टर 20 बी स्थित गर्ल्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल में ग्रीन दीवाली के प्रति बच्चे जागरूकता फैलाने का क्रम जारी रखेंगे ! इस खेल से अनभिज्ञ होकर कि हाथी के दांत खाने और दिखाने के अलग अलग होते हैं ! बच्चों के इस मानसिक शारीरिक शोषण के खिलाफ अभी तक किसी आवाज बुलन्द नहीं की ! अदिति कलाकृति हब ऑफ़ हॉबीज ने प्रशासन से पुरजोर मांग की है कि बच्चों के साथ ऐसा खेल न खेल जाये ! जब वो हकीकत से रूबरू होंगे उनके कोमल दिलोदिमाग पर बहुत बुरा असर पड़ेगा और वो शायद ही सम्भल सकें !
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