चंडीगढ़ ; ; करण शर्मा ;----चंडीगढ़ प्रशासन के आला अधिकारी भले ही प्रेस और पब्लिक में अच्छा काम करने का दावा करते रहें पर कनिष्ठ अधिकारी [ब्यूरोक्रेट्स] इन वादों और दावों की हवा अपनी कई तरह के शौकों के मनमर्जियां के चलते हवा निकालने से चूकते नहीं हैं ! चंडीगढ़ प्रशासन पर डेपुटेशन पर आने वाले अफसर अधिकतर हरियाणा और पंजाब से आते हैं ! कुछेक अपना पीरियड कम्प्लीट होते रुखसत हो जाते और कुछेक कई लाभदायी कारणों के चलते उक्त पदों से लम्बे समय तक चिपके रहने के जुगाड़ में जुटे रहते हैं ! चंडीगढ़ प्रशासन के ये ब्यूरोक्रेट्स सीटें मलाईदार हैं ! अफसर यहाँ वहां से जो मिलता चट करने में कोई कौताही नहीं बरतते हैं ! ये अफसर जिस भी डिपार्टमेंट का चार्ज लेते वहां के हैड से अपने लिए लैपटॉप मोबाइल एलईडी फर्नीचर्स और भी न जाने कितने आर्टिकल्स खरीदते हैं ! ये खरीद कितने लाखों की छू जाती आये दिन अख़बारों में छपता रहता है ! अपने मूल राज्यों को वापसी करते वक्त जो ब्यूरोक्रट्स अपने लिए खरीदे सामान को प्रशासन की या उसी डिपार्टमेंट की प्रॉपर्टी समझ कर वापस करते हैं उनकी गिनती ऊंट के मुंह में जीरा ही है ! ऐसा नहीं है कि प्रशासन के उच्च पदों पर आसीन ब्यूरोक्रेट्स इस आदत से अछूते हैं ! पूर्व एक ब्यूरोक्रेट्स ने अपने लिए सरकारी बंगले के नवीनीकरण के नाम पर प्रशासन और पब्लिक के पैसे को पनि की माकिफ बहाया था ! और तमाम नजला अधीनस्थों पर जा गिरा ! उस केस से प्रशासन ने क्या सबक लिया रब्ब ही जाने ! संबंधित विभाग अपने इन ब्यूरोक्रेट्स आकाओं को खरीदे गए आर्टिकल्स के वापसी के बारे में कुछ भी कह कर अपनी नौकरी खतरे में डालने से बचते हैं ! अब ये भी नहीं है कि चंडीगढ़ का प्रशासन ही ऐसा करता चंडीगढ़ म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन भी इसका अपवाद न हो कैसे हो सकता ! वहां भी ब्यूरोक्रेट्स अधिकारी अपने मूल राज्य को रुखसत होने के बाद भी निगम की वाहन [सरकारी कार] का दुरूपयोग करने के लिए न्यूज पेपर्स की सुर्खियां बना था ! अनेकों विभागों में जाँच का विषय बना हुआ है कि कैसे इन ब्यूरोक्रेट्स से प्रशासन के धन से हुई खरीद का हिसाब लिया जाये खरीदा सामान वापस प्राप्त किया जाये ! प्रशासन के वित्त विभाग से जुडी एक महिला ब्यूरोक्रेट्स ने अपने मूल राज्य वापसी करने के बाद भी अपने तात्कालीन विभाग के बजट खाते से लिए फर्नीचर को खबर लिखे जाने तक भी कथित तौर पर अपने घर में सजाया हुआ है ! अब ये फर्नीचर महज इतना सस्ता भी नहीं कि विभाग के अधिकारी इसको दुःस्वप्न समझ के भूल कर डिप्रेशन से बच सकें ! इस तमाम सहूलियतों के लिए प्रशासन के पास क्या प्रबंध प्रावधान या दिशा निर्देश हैं, इनकी पुष्टि करवाने की सख्त जरूरत है तभी ये कायदे से अमल में आएँगी ! फिलहाल अनेकों ब्यूरोक्रेट्स ऐसी फेहरिस्त में अपना स्थान बनाए हुए हैं !
हैरत की बात कि आमुक विभाग का कोई बेचारा कर्मचारी सरकारी विभागीय खजाने का कोई आर्टिकल जिसकी कीमत चंद रूपये रहती है वापस न करने पर मीमो ही नहीं थमाता बल्कि चैन की बंसी उसको सस्पेंड करके ही बजाता है ! ये प्रशासन के कानून की दोगली बंसी कब तक अंधेरगर्दी का राग अलापती रहेगी ! प्रशासन के कायदे कानून अपने लिए और हैं और अधीनस्थों के लिए और हैं ये कई मर्तबा साबित होता रहा और ऐसा ही चलता रहा तो साबित होता ही रहेगा, कार्यवाही के नाम पर बैठकें आयोजित की जाती रहेंगी !
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