गर्भपात की दर को कम करने में मददगार है आईएमएसआई


चंडीगढ़ : 22 अगस्त; आरके शर्मा विक्रमा /मोनिका शर्मा /करणशर्मा ;------उत्तर भारत में दिल्ली के  अलावा पहली बार सेक्टर 66 स्थित द टच क्लीनिके एक  नई तकनीके · माइक्रोस्कोप मशीन लेकेर आया है जिससे आईवीएफ के  दौरान गर्भाधारण में ही रहीं दिक्तों से लगभग निजात मिल जाएगी। यह तकनीक आईएमएसआई यानी इंटरासाइटोप्लास्मिके  मोरफोलॉजिकली सेलेक्टिड स्पर्म इंजेक्शन है। द टच क्लीनिके  मोहाली से रीकेरेंट मिसकैरिज  स्पैशलिस्ट व डायरेक्टर डॉ. प्रीति जिंदल ने बताया कि ये मशीन स्पर्म के  6000-7000 गुणा मैग्नीफाई यानी बड़ा कर दिखाने में सक्षम होता है, जिसकी  मदद से डॉक्टर सबसे स्वस्थ व बढिया स्पर्म को  उठाने में और इप्लांट ·कर सकते है। इससे पहले मशीन इंटरासाइटोप्लास्मिके सेलेक्टिड स्पर्म इंजेक्शन यानि आईसीएसआई की मदद से डॉक्टर स्पर्म को  400 गुणा मैग्नीफाई यानी बड़ा ·कर देख सकते थे ! लेकिन  आईएमएसआई की  मदद से स्पर्म 6000 गुणा बड़ा ·कर  देखा जा सकता है।

ये तकनीक  बांझपन का शिकार  दंपतियों के  लिए वरदान हैै जो कि  आईवीएफ की  मदद से इलाज ·कराना चाहते हैं, क्योंकि  आईवीएफ के  दौरान स्पर्म सेलेक्शन एक· महत्वपूर्ण हिस्सा है इसीलिए इस तकनीक की  मदद से जिसमें माइक्रोस्कोप की मदद से हेल्दी स्पर्म की  सेलेक्शन ·कर  इंप्लांट ·किया  जा सकता  है। आईवीएफ की तकनीक  महंगी होती है, इस तकनीक की  मदद से दंपतियों को तकनीक  में व्यय ·करने के  बाद परिणाम अच्छे मिलने की  संभावना भी बढ़ जाती है। डॉ जिंदल ने बताया कि अक्सर  एक्सपर्ट्स स्पर्म को  मैग्नीफाई 400 गुणा ही कर सकते  थे और भ्रूण बनाने हेतु  स्पर्म को  इंप्लांट ·कर देते थे। इससे भी अच्छे रिजल्टस आते थे ! लेकिन  स्पर्म की  गुणवत्ता नहीं पता चलता था ! लेकिन  इस तकनीक  से स्पर्म की  एबनार्मेल्टी भी पता की जा सकती है। 

पूर्व पीजीआई एचओडी डॉ. लखबीर धालीवाल के  साथ डॉ. प्रीति ने बताया कि  ये तकनीक  पूर्व तकनीकों के फेल होने के  बाद जैसे कि  आईसीएसआई, आईवीएफ इत्यादि के बाद की कारगर  सिद्ध होती है। यह तकनीक  स्पर्म की  क्लीयर डाइमेंशन नजर आते हैं, जिसकी  वजह से आईवीएफ के  दौरान मिसकैरिज  होने के आसार ·कम हो जाते हैं और कामयाब गर्भाधारण होता है।  डॉ. जिंदल ने बताया कि एक नार्मल आईवीएफ के  दौरान सफल गर्भाधारण का  आसार 25-30 फीसदी होते हैं अगर इसमें आईसीएसआई को  शामिल कर  दिया जाए तो पहले की  अपेक्षा में 10-12 फीसदी दर बढ़ जाती है जबकि  आईएमएसआई के  साथ सफल गर्भाधारण का  आसार आईएसएसआई व नार्मल आईवीएफ की  अपेक्षा में और  10-15 फीसदी बढ़ जाते हैं। आज के इस महत्वपूर्ण विषय की जानकारी गर्भवती महिलाओं को उपलब्ध करवाये जाने को लेकर देश की जानीमानी अदिति कलाकृति हब ऑफ़ हॉबीज की प्रिंसिपल आर्टिस्ट मोनिका शर्मा आभा और लाल पैथ लैब पिरमुच्छला की संचालिका अंजू कमलेश ने इस महत्वपूर्ण तकनीक की जानकारी हर तबके की महिला तक पहुंचाए जाने की अनिवार्यता पर जोर दिया ! डॉ प्रीति ने मीना शर्मा लक्ष्मी देवी आशा शर्मा और अन्य कई महिलाओं के तकनीक सम्बन्धी  पूछे गए प्रश्नों के उत्तर भी दिए !  =================================

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