प्रेम सहित पर्यावरण और परमार्थ का पर्याय होते हैं पेड़

प्रेम सहित पर्यावरण और परमार्थ का पर्याय होते हैं पेड़
चंडीगढ़ ; 19 जून ; आरके शर्मा विक्रमा /एनके धीमान / सुमन वैदवान ;----आज सब से बड़ा खतरा अगर किसी को है तो वह हमारे पेड़ों को और इससे हमरे पर्यावरण को है ! अगर ये ही  संरक्षित और सुरक्षित नहीं हैं तो फिर यह भौतिक और जैविक जीवन की  कहाँ से  स्वस्थ  कल्पना जारी रखी जा सकती है ! आज विश्व का हर मुल्ख पर्यावरण के हितैषियों यानि पेड़ों को  देने की कवायद छेड़े हुए है !
किसी कलमकार व् पर्यावरण  के चितेरे ने क्या खूब  कहा कि " पेड़ों से भी उतना ही प्यार करो", "जितना पेड़ों के नीचे प्यार करते हो " ! भाव और संकेत स्पष्ट है कि अगर आपस में प्रेम करना है तो प्रेम के संदेशवाहकों का पोषण भी हमें भी करना होगा ! समाजसेवी  धर्मप्रज्ञ पंडित शर्मा जी के मुताबिक पेड़ों की अनदेखी कैसी की जा सकती जो हमारा जीवन हैं जीवन का आधार हैं ! हर आयोजन चाहे प्रणय बंधन वेला  हो या फिर जन्मतिथि, जयंती, व्  बरसी क्यों न इन पलों को एक पेड़ लगा कर यादगार लम्हा जीवनभर के लिए बनाया जाये ! अगर पेड़ों की छाती पर तीखे लोहे के नश्तर चलाएंगे तो पेड़ कब पनाहगार साबित होंगे कब ठंडी घनी छाया देंगे  !
देश को जहाँ स्वच्छ और स्वस्थ बनाने की कवायद छेड़ी गई लेकिन एक पल के लिए सब मिलकर सोचें कि पर्यावरण की रीढ़ की हड्डी कहे जाने वाले  पेड़ों का ख्याल रखे बिना कुछ भी तो अर्थवत न होगा ! 

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